वर्ण पिरामिड

(१)

है
अब
बहुत
बहुरंगी
दुनियादारी
कैसे-कैसे लोग
समझना मुश्किल

(२)

है
जेठ
तपता
अंशुमान
भीषण गर्मी
मन बेचैन सा
चिलचिलाती धूप

(३)

है
मन
बावरा
पल-पल
चलायमान
सितारों के पार
चलता  रहता  है

©अनुरोध श्रीवास्तव
बस्ती,उत्तर प्रदेश


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